Saturday, 25 February 2012

आज फिर से उनकी याद आयी.....

वो आज याद आयी और खयालो में ही चली गयी
उस एक पल के यादो में भी मुझे रुला के चली गयी
किया था उम्मीद उनसे फूलो का मैंने
रहो में वो कांटे बिछा के चली गयी

सपनो की एक दुनिया बनाया था उनके साथ
उसी दुनिया को गम से भर के गयी
जलाया था दिया उनके इंतजार में
उसी से मेरी दुनिया जला गयी


भूल के भी न भूलने की दी थी कसम मुझे
आज वो मुझे भुला के चली गयी
अब तो ये प्यास न बुझता है किसी से
जो आग वो लगा के चली गयी

रघुवर झा

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