ना पूछो की मंज़िल कहा है,अभी तो बस सफ़र का इरादा किया है. ना हारेंगे हौसला उम्र भर,किसी और से नही ..खुद से वादा किया है...
आज कल मैं बहोत ही बुरे दिन और ख्यालातो से गुजर रहा हूँ I पता नहीं क्या करू क्या नहीं करू, जिस काम के बारे में सोचता हु वही काम बिगरता हुआ दीखता है, शुरू शुरू में लगा की बस कुछ दिनों की बात है ये सब गुजर जायेगा...लेकिन जब ये सब गुजरने के वजाय मेरे लो कांफिडेंस के कारन बन्ने लगे तो मैं और भी जायदा डिप्रेस हो गया, लोगो के बताये उन तमाम उपायों को अपनाने की कोशिस करने लगा जिसमे मुझे विश्वाश तक नहीं था, अगर ये कहू तो बिलकुल गलत नहीं होगा की अपने आदत से परे हट कर उन से माफ़ी माँगा, गलतिय मानी जो मैंने कभी किया ही नहीं. मुझसे बहोत आश्चर्य हो रहा था अपने इन बदलाव पे, मुझसे मेरे ही हाथो अपने बर्वादी की कहानी लिखी जाने लगी. इन्ही बीच मुझे प्यार सा होने लगा, जिसमे खो कर मैं उन तमाम चीजों अर्थात अपने काम अपने मकशद से दूर जाने लगा जिसके लिए मैं दिल्ली आया था, मुझमे वो सब बीमारियाँ आने लगी जो मुझमे कभी था ही नहीं, मैं ये नहीं कहता की प्यार करना गलत है, लेकिन ये बात उतना ही गलत की प्यार को अपने काम अपने मकशद से ऊपर लाया. और यहाँ से मेरी बर्वादी का सफ़र शुरू हो गया था. अब मैं भी सपनो में खोया रहता था, अशर काम पे हुआ, मेरे कस्टमर्स तुंटने लगे, उन्हें मेरे साथ काम करके वो संतुष्टि नहीं मिलती जो मेरे से पहले मिलती थी, मैं दिनों दिन अपने ग्राफ निचे लेन लगा..लेकिन उससे भी जायदा दुःख मुझे तब हुआ जब मेरे प्यार मुझे छोर के चली गयी, रह गया मैं अपने इस दुनिया में अकेला, अपने लो कांफिडेंस के साथ की मैं कुछ कर नहीं सकता, शायद वो भी ठीक ही समझती रही की मैं कुछ नहीं कर पाउँगा...इसीलिए मैं उसके जाने के बाद शराब और सिगिरेट पे डूबता चला गया, हर तरह ही कोशिसे करने लगा उसे अपने पास वापस बुलाने की, लेकिन वो मुझसे इगनोरे करती रही, यहाँ तक जो लड़की मुझे कहती थी की आपसे एक पल दूर रहना एक जिंदगी के बराबर है, अगर कभी भी मैं आपसे एक दिन के लिए दूर हुई तो शायद वो मेरा आखरी दिन होगा...वही लड़की मेरा फ़ोन काल्स, मेल्स, मस्सेजेस का अन्स्वेर करना भी बंद कर दी, खैर किश्मत को कुछ और ही मंजूर था, शायद किश्मत मुझे फिर से कांफिडेंट करना चाहती थी, और मैंने उसके सपने देखना बंद कर दिया...आज अचानक मैं अपने पिछले दिनों में झांक के देखा तो पाया की इस दुनिया में कोई किसी का नहीं है...अगर आप बुलंद हो, आपके पास पैसे है, तो हर कोई आपके साथ है...अगर ये दो चीज़े आपपे नहीं तो कोई भी आपका साथ देना नहीं चाहता, चाहे वो बीबी हो, गर्लफ्रेंड हो या आपके रिश्तेदार....
मेरा भी सपना टूटा, मैं भी जाग गया हु, अब अपने उसी दुनिया में वापस आने को तैयार हो चूका हूँ, उसी जोश और जज्बे के साथ... "ना पूछो की मंज़िल कहा है,अभी तो बस सफ़र का इरादा किया है. ना हारेंगे हौसला उम्र भर,किसी और से नही ..खुद से वादा किया है"...और जब कोई इन्सान खुद से खुद के लिए वादा करता है तो उसे कभी नहीं तोड़ता क्यूंकि उसे वादा टूटने के बाद के दर्द का एहशाश होता है.... मैं भी उठूँगा, फिर से अपने उस मुकाम पे पह्चुन्गा जहाँ मैं था, वो सब हासिल करूँगा जिसपे मेरा हक है, था और होगा...अपने तमन चाहने वालो का वो हर तमाम सपना पूरा करूँगा...क्योंकि मैं नींद से जाग चूका हु, हकीकत से वाकिफ हो चूका हु, और इन सभी चीजों ने मेरे अन्दर के सोये इन्सान को जगा दिया... दोस्तों न्नेंद में रहना, सपने देखना बुरी बात नहीं, कई बार आपके सपने ही आपको उस मुकाम तक पहुंचती है जहाँ आप पहुचना चाहते हो, लेकिन उसके लिए आपको स्टेप बाई स्टेप काम करना होगा....क्रमशः
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