अपनी कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ..
या अपने दिल का सारा प्यार लिखूँ..
अपना कुछ ज़ाज़बात लिखूँ या अपने सपनो की सौगात लिखूँ..
खिलता सुरज को मैं आज लिखूँ या आपका चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ..
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सांस लिखूँ..
वो पल मे बीते कुछ साल लिखूँ या सादियो से लम्बी रात लिखूँ..
सागर सा गहरा हो जाऊं या अम्बर का विस्तार लिखूँ..
मै आपको अपने पास लिखूँ या आपके दूरी का ऐहसास लिखूँ..
वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या आपका निश्छल प्यार लिखूँ..
छत पे चढ़ बारिश मेँ भीगूँ या मैं रोज की रातों की आंखों की बरसात लिखूँ..
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ..या दिल का सारा प्यार लिखूँ..
अब आप ही बताओ की मैं क्या लिखूं .....
रघुवर झा
या अपने दिल का सारा प्यार लिखूँ..
अपना कुछ ज़ाज़बात लिखूँ या अपने सपनो की सौगात लिखूँ..
खिलता सुरज को मैं आज लिखूँ या आपका चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ..
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सांस लिखूँ..
वो पल मे बीते कुछ साल लिखूँ या सादियो से लम्बी रात लिखूँ..
सागर सा गहरा हो जाऊं या अम्बर का विस्तार लिखूँ..
मै आपको अपने पास लिखूँ या आपके दूरी का ऐहसास लिखूँ..
वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या आपका निश्छल प्यार लिखूँ..
छत पे चढ़ बारिश मेँ भीगूँ या मैं रोज की रातों की आंखों की बरसात लिखूँ..
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ..या दिल का सारा प्यार लिखूँ..
अब आप ही बताओ की मैं क्या लिखूं .....
रघुवर झा
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